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दान और दुआ
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फ़क़ीरके आते ही राजाने उसके पैर पकड़ लिये और राजाकी प्रार्थनापर उसने अपनी पहली दुआओंको फिर यथावत् उलट दिया ।
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राजा के महलकी सबसे ऊपरी अटारी केवल एक खम्भेपर खड़ी हुई थी, और उससे नीचेकी मंज़िलें क्रमशः दस, सौ, हजार और सबसे निचली और चौड़ी मंजिल दस हज़ार खम्भोंपर टिकी थी । राजाके निजी कक्षके एक खम्भे की संभालके लिए नीचेके इतने सब खम्भे आवश्यक थे और फ़क़ीरकी दुआओंकी सार्थकता अब दृष्टिसे छिपी न थी ।