________________ चौदहवाँ अध्याय [135 सब गर्न उठे भीमादि वीर "आना हो जिनको आजायें / अब तो अत्याचारी अपने अत्याचारों का फल पायें // " जयघोष हुआ चहुँओर वहाँ आगे पीछे दाएँ वाएँ / झनझना उठे सब अस्त्र शस्त्र हुंकार उठीं सब सेनाएँ // 139 // है जहाँ कृष्ण से योगनाथ अर्जुन से हैं बलवीर जहाँ / या जहाँ धनुर्धर पार्थ वीर हैं कृष्ण सरीखे धीर जहाँ / है धर्म वहाँ सत्कर्म वहाँ सन्नीति वहाँ सत्पीति वहाँ / है न्याय वहाँ है विजय वहाँ योगी जीवन की रीति वहाँ // 14 // (958) समाप्त