________________
३५
वैशाली नगर ८०००-महल मकान (हर मकान में उद्यान और तालाब) १,६८,०००-जनसंख्या (वाह्य नागरिक और आन्तरिक नागरिक)
७०००-सुवर्ण गुम्वद १४०००-रजत गुम्वद २१०००-ताम्र गुम्वद
७७०७-संसद् सदस्य अट्ठ खो इमा आनंद ! परिसा. . . . . . . . .. ।' अर्थ:हे आनन्द ! परिषद् आठ प्रकार की होती है।
(१) क्षत्रिय-परिषद् (२) श्रमण-परिषद्, (३) ब्राह्मणपरिषद् (विद्वत्-परिषद्), (४) गहपति-परिषद्, (५) चातुर्महाराजिक-परिषद्, (६) त्रायस्त्रिंश-परिषद्, (७) मार-परिषद् (८) ब्रह्म-परिषद् ।
१. गहे हे हि राजानः स्वस्य स्वस्य प्रियंकरा।' महा. मभा. १०/२.
एकक एवं मन्यतं प्रहं राजा प्रहं राजा राजेति । -ललिन बिम्बर ३१२३, पृ. १५. २. महापरिनिबानमुक्त.