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________________ KUMARAMATYADHIKARANA. THIS KUNDA IS CLEARLY RELATED TO "KSHATRIYAKUNDA' (SYA) BECAUSE NO OTHER KUNDA IN THF. AREA IS OTHERWISE KNOWN* ___"एक वैशाली मुद्रा जो कि गातकालीन है, उसमें एक गाथा है, 'वेशालीनाम कण्डे, मारामात्याधिकरण (स्य) जिसका तात्पर्य है कि उपयक्त कुण्ड स्पष्टतया क्षत्रियकुण्ड से सम्बन्धित था, क्योंकि इस प्रकार का दूसरा कुण्ड, इस क्षेत्र में दष्टिगोचर नहीं होता।" __ "चौबीसवं तीर्थंकर महावीर (वद्धमान) के जन्म स्थान के विषय में अनेक मत है। परन्तु यथार्थ यह है कि महावीर का जन्म बंगाली के निकट कुण्डग्राम में हुआ था । मजफ्फरपुर जिले के हाजीपुर सब-डिटोजन में स्थित वसाढ़ हो प्राचीन वैशाली है। कुण्डग्राम को आजकल वासुण्ड कहते हैं। लिच्छुआइ क्षत्रिय कृण्ड या कुण्डलपुर ही महावीर का वास्तविक जन्म-स्थान है। प्राचीन लिच्छवियों की गजघानी बैशाली को ही आजकल वमाद कहते हैं और महावीर को विदेह, विदेहदत्त, विदेह-मुकुमार और वैशालिक भी कहा गया है। यह निष्कर्ष वैगाली नाम से निकाला गया है; क्योंकि मूत्र कृतांग १३ में महावीर को वैशालिक नाम दिया गया है। वैशालिक का अर्थ अन्ततोगत्वा वैशाली का रहने वाला है। अतः महावीर का यह नाम उपयक्त ही था जवकि कुण्डग्राम वैशाली के निकटस्थ था । मिद्धाथ की पत्नी त्रिशला राजा चेटक को पुत्री थी, जो कि वैशाली के गजा थे। उन्हें वैदेही या विदेहदना कहा जाता है क्योंकि व विदेह के शासक वंश में पैदा हुई थी। इस प्रकार महावीर का अपने समय में वेगाली के महत्वपूर्ण लिच्छवी गणतंत्र क्षत्रियों में रक्त-मम्वन्ध था। * A.S.I. R. for 1913-14; Plate xivii (with an account on p. 134; Seal No. 200); An Early History of Vaishali by Dr. Yogendra Mishra; page224.
SR No.010812
Book TitleTirthankar Varddhaman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandmuni
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1973
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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