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...."उक्त नंदिवर्धन ने मगध साम्राज्य को, जो अजातशत्र के समय से ही बनना प्रारंभ हो गया था, और भी बढ़ाया। उसने कलिंग को भी जीत लिया था तथा वहाँ से लूटकर और निधियोंके साथ जिन (जैन तीर्थंकर) की मूर्ति भी ले आया था। ई. पू. ५ वीं शती में जैन मृत्तियाँ बनने का यह अकाट्य प्रमाण है। इसी समय के कुछ पीछे कृष्ण की मूर्ति के अस्तित्व का अनुमान होता है।'
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१ रूपरेखा, जिल्द २, पृ. ६२४. २ भारतीय मूर्ति-कला, पंचम संस्करण, लेखक-रायकृष्णदास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी।