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________________ प्राभार समयसार कलश को पं० गजमल जी कृत ढढारी भाषा के आधुनिक भाषा-रूपान्तरकार श्री महेन्द्रमेन जैनी का जन्म ३० जनवरी, १९२० को लखनऊ में हआ था। उच्च शिक्षा संप्राप्ति के पश्नात् आपने सक्रिय जीवन में प्रवेश किया तथा पूर्ण लगन और अनवरत अध्यवसायपूर्वक अपने विभिन्न कार्य-क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की आप सरिता एवं कारवा नामक पत्रिकाओं में मेटगे रहे और तत्पश्चात् भारत सरकार के. "सैनिक समाचार" नामक पत्र में आपने विज्ञापन प्रबन्धक के पद पर इलाघनीय कार्य किया। तदनन्तर आपने अनेक वर्ष पर्यन्त भारत सरकार के प्रकाशन विभाग (मूचना एवं प्रमारण मंत्रालय में सहायक व्यापार श्री महेन्द्र सेन नो प्रबन्धक आदि महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। सामाजिक क्षेत्र में भी श्री जैनी ने अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं से सम्बद्ध रह कर महन्वपूर्ण भूमिका निभाई। आप जैन समाज को एक मात्र शोधपीठ वार मंवा मन्दिर के महासचिव रह ओर स्थानीय अनेक संस्थाओं में प्रतिप्टिन पदों पर रहे। साहित्य-माधना के क्षेत्र में भी आपने सराहनीय कार्य किए. कई पुस्तकों का सम्पादन और प्रणयन किया। वे अब हमारे बीच नहीं हैं उनका केन्मर रोग से दि. ४ सितम्बर ७६ को स्वर्गवास हो गया। वे अन्त समय तक धर्म में सावधान रहे । समयसार कलश का प्रस्तुत भाषान्तर उनकी आध्यात्मिक रुचि और गुणग्राह्यता का जीता-जागता प्रमाण है । हम इसके लिए उनके आभारा हैं। वीर सेवा मंदिर का यह प्रकाशन पाठकों को लाभप्रद रहेगा। -महासचिव
SR No.010810
Book TitleSamaysaar Kalash Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasen Jaini
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1981
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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