SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ €£****CO3**£33*********92£3K***9***/~~_ ५ पांच प्रकारे देवतारी सना. जववायसना ऊपजणरी १, अलंकारसना ग्रहणागांग पदिखानी २, निषेकसभा अनिषेक राज्यनो करें ३, विवसायसज्जा पुस्तक वांचवा - नी ४, सुधर्मासना तिहां दरवार करें जों माणवक स्तंभ बें तवें भगवंतरी दाढां रहे तिण कारणें चोथो ध्याश्रव न सेवें ५. ४१ ९ पांच अंतराय दानांअंतराय दान देवें नदी १, लानाअंतराय व्यनावे खान पाम सकें नदी १, जोग अंतराय जोगवी सकें नही ३, उपजोग अंतराय जोग उदय ध्याय सके नदी ४, वीर्य अंतराय द्रव्यनावे वीर्य पामें नही ५. ४२ परे १, ५ पांच प्रकारे मिथ्यात. निग्रह मिथ्यात ग्रह्यो कदाग्रही नहीं बोमें लोद वाणीयानी निग्रही मिथ्यात दरजी केरो ग्रदियो मिथ्यात सेवें २, अनिनिवेशक मिध्यात व्यापतो पोते पाको मिथ्यात्वी छाने पनेराने देतयुक्ते करीने मिथ्यातमांदिपा - ४३ लें जिनमार्गथकी मिगावें ३, नानोग मिथ्यात्व विना उपयोग मिथ्यात्व सेर्वे ४, संसय मिथ्यात्व संदेह घणो रहें ५. ५ पांच प्रकाररा मिथ्यात्व. लोकिक मिथ्यात्व गोगो खेतरपाल श्लोकरे नामने छा
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy