SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ************************** ३१ बोल ३१ जिदाज व्य तथा नावका. १ डव्यजीदाज लकमीके पाटीयाकी दोय तिम संयमरूपी नाव जहाज़में १७ नेदे संयमरूपी पाटीया हुवें २ अन्य जिहाजमें सांकल होय तिम संयमरूपी नाव जिदाजमें धीरजरूपी सांकल दोवें, ३ डव्यं जि दाज में खीखा होवे तिम संयमरूपी नावमें पञ्चस्काणरूपीया खीला होवे, ४ व्यजिहाजमें चाटु होय तिम संयमरूपी नावमें गुरु उपदेशरूपीया चाट होवे, ४ अव्य 'जिहाजमें बात दो तिम संयमरूपी नावमें संवररूपी बात होवे, ६ डव्यं जिहाजमें यांना होय तिम संयमरूपी नावमें चढता वैरागरूपी यांना दोय, ७ व्यजिहाजमें जा होय तिम संयमरूपी नावमें निर्मल ज्ञानरूपी धजा होय, जन्यजिहाजमें खेवटीया होय तिम संगमरूपी नावमें समकितरूपी खेवटीया, ए व्यजिहाजमें मोरी दोय तिम संयमरूपी नावमें धीरजरूपी मोरी होय, १० व्यजिहाजमें काम करनेवाला होय तिम संयमरूपी नांवमें वेयावच करनेवाला होय, ११ द्रव्य जिंदाजमें खा मेरो माल जरी होय तिम संयमरूपी नावमें क्रिया शीलरूपी खाणेरो माल होय, - १२ द्रव्य जिहाजमें वायु चलें तिम संयमरूपी नावमें शुज नावे धर्मध्यान. शुक्रभ्यान
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy