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को धर्मकी जब्दो उत्पत्ति करणी होय तो शास्त्रका बहुमान करो और श्रग थाचरण राखो १६, कमवा वचन कटुक मती कृषणपणा और कुटिल खन्नाव ए च्यार
उर्गण. त्यागोगें तबही निश्चे धर्मकी प्राप्ति होगी १७. १७ ज्ञानावरणी कर्म बांधवाना हेतु १७. झानरी पासातना करें १, झानी साधु प्रमुखरी
प्रासातना करें जूंमो याचरें २, ज्ञानरो कारण पुस्तक प्रमुखरी थासातना करें ३, || नटजाय में जण पासें न नण्यो, नपघात करें ज्ञान अथवा ज्ञानीरो मूलसुं विनाश करें ५, प्रक्षेष ज्ञान अथवा मतिझानी प्रमुखसुं अप्रीति राखें ६, मतिज्ञानी, प्रमुखरे नात पाणी कपमा प्रमुखरो अंतराय करें अथवा ज्ञान नणतां अंतराय करें | , मतिग्यानी अथवा मतिझान प्रमुख नघामे, अथवा ज्ञानरो अवर्णवाद बोलें ए, श्राचार्य उपाध्याय प्रमुखरो अविनया करें १०, थकाले सिशाय करें ११, कालें सिशाय न करें ११, जीवहिंसा करें १३, जूठ बोलें १४, चोरी करें १५, कुशील सेवें १६, परिग्रहको त्याग करें १७, रात्रीनोजन इत्यादि हेतु करी झानावरणी कर्म बांधे.