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________________ १५ सुविनीतका १५ वोल. नीचा प्रवर्त्ते १, चपलपणारहित २, मायारदित ३, कतुलपपारहित ४, कर्कश वचनरहित ९, दीर्घ रोष न करें ६, मित्रसुं मित्राश्पणो सेवें 9, सूत्र खहि मद न करे, याचार्यादिकरी निंदा न करें ए, मित्रके उपर कोप न क१०, मित्रके पूठ पार्ने गुण करें ११, कलह ममतरहित १२, ग्यानतत्त्व जाणे १३, निजात विवंत १४, लज्यावंत इंडीगुति १५. ६ १५ बोल १५. समुद्रनी उपमाए संसावर्णव. पूज्य भगवान समुझमें पाणी वें, संसाररूपोये समुझमें कीसो पाणी बें, जन्म जरा मरणरूपीयो पाणी बें १, पूज्य भगवान समु कादो, संसाररूपीये समुझमें कीसो कादो बें, कामनोग रूपीयो कादो बें २, पूज्य भगवान समुझमेंतो फेण उठें बें, संसाररूपी समुद्रमें पहंकाररूपी फि ३, पूज्य भगवान समुद्रमें तो दरमां बें, संसाररूपी समुद्र में त्रसनारूपी दरमा ४. पूज्य भगवान समुद्रमें तो क्लस वें जबके दें, संसाररूपी समुद्रमें नारकी ती मनुष्य देवतारूपी कलस जबके वें १, पूज्य समुद्र में मगरमछ र्बे संसाररूपी स मुद्रमें सबला निरखला मारें दें तीके मगरमछ सरीखा जाणवा 9, पूज्य भगवान LOK LOK *O**
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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