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________________ यिक च्यार प्रकारकी. उव्यथकी १ देत्रथकी कालथकी३ जावथकी४ ते अन्य थकी सामायिक १ तथा श्खेत्रथकी लोक प्रमाणकालयकी २ घमी तथा ४ घमी ३ नावथकी शान्ति प्रणाम और सर्वतूत यात्मकल्प शत्रुमित्रसम४श्त्यादि अथवा। प्रकारकी सामायिककी शुरुता सो १ ऽव्यथकी खेत्रथकी कालथकी। नावकी. सोव्यथकी सामायिक शुक सामायिकका नपगरण शुरू अर्थात् श्रासन शुक रके जैसेकी बहुत करमा तप्पम आदिकका न रके क्योंकी कोई मकोका थादिक जीव मसला न जाय और बहुत नर्म नमदादिककालीन रके क्योंकि कोई पूर्वोक्त जीव फसके न मर जाय. सोलो तथा कंबलं तया बनात तथा और सामान्य वस्त्रका आसन रके जर पचर आदिककी नारी माला न रके. सूतकी तथा काष्टकी माला सोनी हलकी होय तो रके और पूजन थानुपूर्वी पोथी शुरू रखें १ देत्रथकी सामायिक शुछ सो पूर्वोक्त एकांत स्थानक सामायिक करें अपितु नाटक चेटकके स्थान तथा चूल्ले चक्कीके पास न करें. क्योंकी नाटक चेटक रागादिक देखने सुननेसें शायद श्रुति सामायिकसे निकल जाय और चुल्ले चक्कीके पास सचित्तका.
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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