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________________ शौरोको हंसाना और तिलस्मात् इंडजाल करके कुतुहल करना तथा ख्याल तमा शे सांग नाटकका देखना तथा चोपम गंजीफा गोली कौमीसें खेलना इत्यादि निर्थक कालका और काजका विगोवना है क्योंकि इसमें कुछ लानका. कारण नहि है इसीसें जम चेष्टा न करें. और ३ तीसरे मुखारिसो नाहक गांली देना याने गा-| ली बिना बातका न करना तथा मातापिता और शाहका जर, विद्या गुरुका सामना कमुथा बोलना और निंदा करना तथा देवगुरु धर्मकी कसम खानी और तु तुं ||* क्या है,श्त्यादि निरर्थक कलहका करना सो न चाहिये.और ४ चोथे संयुक्त अ॥ धिकरणसोपायकारी उपकरण पूर्वोक्त गज गननी हल मूसल श्रादिक बहुत रख-|| ने. सोरके नही.और ५ में उपनोग्य अतिरिक्त सो खानेकी पीनेकी पहरनेकी वस्तु पै बहुत मोह करना और अनहुई वस्तुकी चाद करनी. जैसेकी मेरी पमोसीकी छ। कान हवेली स्त्री थादिक क्या यही है, थाह मेरे ऐसी ऐसी क्यों न हुई मुफेनी ऐसी चाहीय. इत्यादि तीव्र अग्निलाषा करनी न चाहीये शति तृतीय गुणवतम् ॥ ॥अथ प्रथम शिदाव्रत प्रारंजः ॥ प्रथम शिदाव्रतमें सामायक करें सो सामा
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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