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खाऊंगा जैसेकी मया चोला कंगनी स्वाक श्त्यादि धान्यका बिलकुल त्याग करे और फलोंकी मर्यादा करे. परंतु जो जमीनमें फल नत्पन्न होता है जैसेकी खशन गाजर मूली इत्यादि लाखोंकि सम है और जो त्रस जीव अर्थात चलतफिरते || जीवसहित फलंफूल सागहो जैसेकी गुलरफल पीपलफल बमफल आदि थोर फूल || कचनार फूलसिबल फूलगोनी आदि और सागनूणी सागचणा इत्यादि तो बिलकुलही त्यागने चाहिये और थकात फलानी न खाना चाहिये और ऐसेही ए प्रकारकी विगय सूत्र समाचारीमें कही है. अग्ध १ दही २ मकन नोणी ३ घृत ४ तेल ५ मांग गुम आदि ६ मधु शहद ७ मद्य मदिरा मांस ए शति सोश्नकी मर्यादा करे परंतु मद्य १ मांस २ ये विगय सर्व आर्य पुरुषोने अनद कही है सो श्न-|| को विलकुलही त्याग धौर ऐसेही चर्मगल सण जुन रेशम और कपासके वस्त्रकी मर्यादा करे परंतु चर्मके वस्त्रतो विलकुल त्याग दे और रात्रिनोजनकानी त्याग करे || रात्रिजोजनमें महा दोष है स्वमत परमत सन्नीमें त्याग है इससे अवस्य त्याग और चवदह नेमनी सी ब्रतमें गर्जित है सो चवदे बोलसे जाणना. फेर नोगपरि