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________________ दिकको रीस करके पिंजरे तथा रस्सी आदिकसे बांधे नही २ दूसरे नोकर थादि । कको तथा पशु बेल घोसा आदिकको क्रोध करीने गाढा घाव मारें नही ३, कुनके तथा बेल आदिकके अंग (अवयव) कान पूज आदि बेदन करें नही, ४ जंट घोमे बेल गधे तथा गामी यादिमें सामर्थ प्रमाणके उपरांत नार घरे नही, रातोः || करके तथा पशु गाय घोमे आदिककें घास खानेके समय अंतर दे नही अर्थोद । नूखें रखें नही ॥ इति प्रथमानुव्रतम् ॥ १॥ . ॥ अथ थूल मृपावाद स्वरूप ।। दूसरे अनुव्रतमें विना मर्यादा मोटा जूठ बोलें नही यथा सूत्र कनाली गोयाली खाली थापणमोसा कूमी साख इत्यादि जूठ बोलें नही जब तक जीवे तो फीर ऐसे कन्नी न करें १, किसीकुं जूंग कलंक - र्थात् तहोमत लगावें नही १, किसीके जीपे हुवें अपराधको प्रगट करें नही क्योंकी कोई चाहें कैसाहीहो न जानें अपनी बुराई सुनकर कुब थापघात आदि कार्य करतें य॑थै ३, जूग उपदेश करें नही जैसेंकी मेंने तो जूठ बोलता नही तुमने अमुक कार्यमें अमुक जूठ बोल देना ऐसें कहें नही ४, स्त्रीका मर्म अनाचार बिल (HE
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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