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घरना वारणा उघामा में साधु साधवीरी सदाही दानरी नावना नावें , श्रावक जीवप्रतीतिकारीये घरमांही न जावें राजाना अंतेवरमांही न जा अने जावे तो श्रप्रतीति ऊपजें ए, श्रावकजी श्रमणनिर्ग्रथने अन्न पाणी वस्रपात्र पीठ फलंग स
द्या संस्तारक उपधनेषध सूफतो निर्दोष प्रतिलालतां विचरं १०. १० पंचेंजिय जीवनो वध करें तो दश प्रकारनो पाप लागे. स्पर्शख्यिना सुखनो वि.
योग कीयो १, सुःखनो संयोग मेलीयो १, रसेंजीयना मुखनो वियोग कीयो ३, हु. खनो संयोग मेलीयो ४, वाणेजीयना सुखनो वियोग कीयो ५, सुःखनो संयोग मेलीयो ६, चक्कुखियना सुखनों वियोग कीयो , जुःखनो संयोग मेलीयो', श्रो. तेंजियना सुखनो वियोग कीयो ए, सुःखनो संयोग मेलीयो १०.
७ १० दश बोलें एकांत उखम काल जाणीजे. थकालें वरसें १, कालें नही वरमें तथा
थोको वरसें १, असाधुरी पूजा हुवें ३, साधुरीपूजा नही हुवें ४,मोटेठिकाणे मिथ्यात * हुवें ५, वमारो विनय न करें ६, अणगमता शब्द , रूप, गंध ए, रसस्पर्श. ५० * १० दश बोलें सुखमकाल जाणीजें. कालें वरसे थका नही वरसें १, साधुरी पूजा हुवें