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________________ ****6*3*********************** जसकीर्त्ति यापरें काने सुसी १०. १४ १० दश बोल अनंते काले हुंमानामा व्यवसर्पिणीने विषे हुवा तेदना नाम तीर्थकरने च्यार मावीत हुवें नही छाने च्यार मावीत हुवा १, केवलीनी वाणी निष्फली जावें नदी ने महावीरजीने केवलग्यान ऊपनो प्रथम देशना दीधी तिका खाली गई तिर्येच देवता मिलीया पि कोई विरती व्याखमी लेवावालो मिलीयो नदी तिवारे केवलीनी वाणी निष्फल गई २, केवलीने परिसद हुवें नदी छाने गोशालेँ भगवंत महावीरने तेजोलेश्या मेहली तिणसें भगवंत महावीरने व महीना तां लोदी गण रह्यो ३, चंडमा सूर्य एक मंगले विमाने बेसी जगवेत, महावीरने वंदना करणने तसुं इंड वंदना करणने जावें नहीं पने ए गया ते बेरो जाणवो ४, चमrs सुधर्म सामुदो कोपीने नही जावें छाने ए चमरेंद्र गयो ए, स्त्री तीर्थ प्रवर्त्तावे नदी ने मल्ल कुमरी तीर्थ प्रवर्त्तायो जगणीशमा तीर्थकर जाणवा ६, वासुदेव संखे संखे मिलें नदी ने कृष्णवासुदेव द्रौपदीने लेण गया तिवारे कपिल वासुदेवने संखे संखे मिलीया 9, एकण समय १०० उत्कृष्ट रंगादणाना धणी सिद्ध नही थावें । *O**O****************
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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