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॥अथ नवमो बोल लिख्यते ॥
ए नब तत्त्व. जीवतत्त्व १, अजीवतत्त्व १, पुण्यनत्व ३, पापतत्त्व ४, पाश्रवतत्त्व ५, सं___ वरतत्त्व ६, निर्जरातत्त्व , वंधतत्त्व , मोदतत्त्व ए. ए नव पुन्यन्नेद. अन्नपुन्ने १, पाणपुन्ने ५, लेणपुन्ने ३, सयणपुन्ने ४, वडपुन्ने २, मन्नपु-||
ने ६, वचनपुन्ने ७, कायपुन्ने ७, नमस्कारपुन्ने ए. ए नव ब्रह्मचर्यनी वामी. स्त्री पशु पिंगसहित थानकन नोगवे, जो जोगवे तो मुंसा बिलाश्को दृष्टांत १, स्त्री कथा करें नही, करें तो नींबुको दृष्टांत २,स्त्रीके श्रासणपर बेसें नही, जो बसें तो पेठने थाटा काचरीको दृष्टांत ३, स्त्रीना अंगोपांग निरखे नही, जो निरखें तो सूर्यको दृष्टांत , स्त्री पुरुष विषयादि करता होय तिसके जीत | टाटीने आंतरे नही रहें, जो रहें तो मोर गाजरो दृष्टांत २, पूर्वला कामलोग चितारे नही, जो चितारे तो बुढीयाकी गको दृष्टांत ६, रस प्रणीत थाहार करें नही, जो करें तो सन्निपात रोगकुं दूध मिसरीको दृष्टांत 9, मर्यादाथी अधिको थाहार कर