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________________ रोवर सोध्यारो पाप इतरो. एक दावानल में पाप ५, १०० दावानखरो पाप स्तरो एक कुवाणिज्यमें पापं. (साजी साबु लोह गुली) ३, १४४: कुवाणिज्य कियारो स्तरों | एक कूझो बाल दियारो पाप ४, १५१ कूमा बालदियांरो स्तरो एक पारकी स्त्री से , व्यारो पाप , एएएए पारकी स्त्री नोगवे इतरो एक रात्रिलोजनमें पाप ६. ५६ ६ उ कारणसें बकायारी हिंसा करें. जिवणके अर्थे १, प्रशंसा थर्थे २. मान अर्थ ३, * पूजा श्रर्थ ४, जन्म तथा मरणं बुझाने के अर्थ ५, अःख मिटाने के थर्थे ६. ५७ | ६ लेश्याका प्रणाम ब. कृष्णलेश्या हिंसाकरणकी श्वा होय १, नीललेश्यासें चोरीकी * . हा होय. १, कापोतलेश्यासें मैथुनकी श्छा होय ३, तेजुलेश्यासें तपस्या करणेकी खां होय ; पद्मलेश्यासें दान देणेकी श्वा होय ५, शुकलेश्यासें मोदकी ६. एं
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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