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________________ थए कुणालदशनो २, चंडगयराजा अंगदेशनो ३, संखराजा काशीदेशरो ४, अदीनशश्रुराजा कुंजरदेशनो ५, जितशत्रुराजा पंचालदेशनो ६.. १० ६ मत. प्रथम जैनमें देव अरिहंत निय १, बौधमतमें देवबुध गुरु पावमी १, शि. वमतमें देवरुप गुरुयोगी ३, देवमतमें देवधर्मगुरुवैरागी, न्यायमतमें देवजगत्कर्ता गुरु सन्यासी, मीमांसकमतमे देव बलख दरखेस गुरु ६.. ६ रिषिवंत मनुष्य. तीर्थकर १, केवली २, चक्रवर्ति ३, वासुदेव ५, बलदेव ५, ना विक यात्माना घणी साधु अतिशयवंत ६. ६ बोल करवानी शक्ति नही. जीवनो अजीव करणारी सगति नही १, यजीवरो जीव करणरी सगति नही १, परमाणुन पुद्गल बेदी नेदी शके नही ३, एकण समयमां दोय नाषा बोल शके नही ५, थापरा कीघा कर्म थापही जोगवे पर चीसरो वदाय शके नही ५, लोकरी चीज ते अलोकमांही जाय शंके नही ६. १ ६ उ बोल पामवां उर्खन. मनुष्यपणो पामवो दोहिलो १, थार्यकुल पामत्रो दोहितो १,पंचेंडिपपणे पामवो दोहिलो ३, सिहांत सुणवो दोहिलो ४, सो थावणी १०
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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