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________________ तीय शिक्षावत है।शवदुरिजिनमै विषय कम सधै अरघातप्रनेकप्रकारुप नतेजीवनिका दोश सिमदिरामा सलूएपो कंदमूल आदि जमीकंदके बडोकेतकी निंवपुष्पादिक 5 निकातोयावजीवत्यागही करता। अरयोग्य विषयनिमेशियां की आकांक्षाला लपताकेघटा वने के प्रर्थिमनिमान का कृषकरनेनिमित्त भोगउपभोग निकायमा एक र नासो भोगोपभोग परिमाणनामानीसरा शिक्षा व्रत है। वह्नस्थितिथिनेमुनीश्वरादिकपा अतिनिकुं अपने पर केउपकारके अर्थिभक्तिपूर्वक जोग्पविधिकरिनि देकिप्रहास्त्रीषधवस्तिकापुस्तकादि उपकरएदिनां । सोअतिथिसंवि भागनामंचोथा शिक्षाबनंदे असे तीनगुणवतच्यारिशिक्षाबत निकरि संयुक्त पंच प्रणतग्रहस्थ धारण करे सोती है। सूना मारखेतिक मच्छ पनाजोषित शाखती श्रावक है सोभर एके अवसर मे सल्लेखनाशी
SR No.010804
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
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