________________
नीमदिरापीयकरिकैंसरतीसकेउदयके वशक्तप्रनेकविकारकूंप्राप्त हो
इहौ तथाने संरोगी-अपथ्यनोतनकरिअनेकवातकफादिजनितविकार निकुंप्राप्तिहोदेति श्राश्रवविधिकरिपट की या अष्टप्रकार कर्मीत थाएकसी अवताली सतथा असंख्यात्त लोकप्रमाणकर्मषक्त तित्तै उपज्या विकारप्राप्त होईहै।। इतितत्वार्थाधिगमेमोक्षशास्त्रे षष्टोध्यायः॥६॥सू
हिंसाववस्तेवपरिग्रहेन्या विरते इते शाहिसा कहिये प्राणघात अनृत्य कहिए-असत्याशं स्तेयकहिए चोरी:प्रब्रह्म कहिएकुशीला ४. परिपदापासूनिपचपापनितैवेरम एकहिए विरक्तता सोबत है। सूत्र || देश सर्वतो गुमहत शानिहिंसादिकपंचपाप निकाएक देश त्यागसेो अणुव्रत देअर सर्वप्रकारने त्याग सोमहाबचंदे ॥ सूत्रं ॥ तत्तू स्थेयार्थ नावा
1- IP
नाः पंचपंच शातिनिश्रहिंसादिकपंचधन निकास्थिरीकरण के अर्थिग