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________________ चन कहा रिवर के दैवकुरुवकाः॥२७॥ हिमवतक्षेत्रमै उपजे मनुष्पनिका आयु एकपल्यमाणंहे॥ दरिक्षेत्रमैमनुष्पनिका दोयपल्य्यमाणञ्चायु दिदेिव कुरुमैंउपजेमनुष्य् निका-आयुतीनपल्पप्रमाण है॥ सूत्रं तथच तैसे हीउत्तरके जेहैरन्यवत्तरम्प उत्तरकुरु इनिमैंउपजमनुष्य निकी युद्ध एक पल्प दोयपल्पतीन्नयल्प प्रमाण दे ॥ सूत्रं विदेदेषुसं व्ययकालः॥३॥विदेहक्षेत्र विषैमनुष्पनिका संख्यातकाल का आयु है। सूत्रे ॥ नरतस्पविकनोजवृद्दीप स्पंनव निशतनामावूद्दीपकाए कसोनिवॆनागमै एक नागप्रमाणनरत क्षेत्रका विष्कंनद घितिकी खरे। शाधान की खेडद्दीपविषैन रतादिक क्षेत्र दोयदोर्य है। सूत्र कर एच।। रापुकरदीपका अर्द्ध नाग विषैनीनरतादिक क्षेत्र दोयदोय है पांग्मानुषोत्तरानंमनुष्यांशधा मानुषोत्तर पर्वतकैमा दिदी मनुष्प
SR No.010804
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
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