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अंगीकार करितीन संध्याविना समस्त कालमै दोय को शपमा विहार करें? रात्रिचिहार नही करे।वर्षाकालमै नियमसहितदोयजीवनिकीउत्पत्तिमर एक्चेचिकाणेकालकी मर्यादजन्मयोनिकेभेदद्रव्य क्षेत्र के स्वनावविधान काजानन हाराप्रमादरहितमहावीर्यवान होयताकै परिहारविश्रुद्धिसंय महोदे, परिहारविशुद्दिका अधन्यका लअंतर्मुहूर्त जति अंतर्मुहूर्त मैगुणस्थानपलटितायता छूटे है। बवे सातवें दोयगुणस्थाननिदमिर
कष्टकालयडती संघर्षघाटिको डिपूर्वकाह जैसे कमलपत्र जलकरिनही लिपेतैसे षट् कायके जीवनिक रिव्याप्तजगतमेविहार करता पापकरिनहीलिये है। सब रिजसूक्ष्मस्थूलपाणीनिकी पीडा कार्यरिदारमेंप्रमादरहितयस्यात्मानुभवविउत्सादयुक्तिअखंड क्रियायुक्त सम्पदानि ज्ञानरूपप्रचंडपथन रिप्रज्वलितनयातेोवि