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आचा०
॥२९७॥
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आकान विगेरेनो आत्मानी साथे संबंधथतांजे ज्ञान थाय छे, ते ज्ञान उमर वृद्ध थतां ओछु थाय छे, ते हवे बतावे छे. मूळसूत्रमा कयु छेके:"अभिकंतं घ" विगेरे एटले उपर बताव्या प्रमाणे बुट्टापामां शक्ति ओछी थइ जाय छे.
सूत्रम् अथवा आखा सूत्रनो आ प्रमाणे अर्थ लेवो केः___ कान विगेरे विज्ञानथी कमी थयेल कर्णभूत इन्द्रियो छतांपण अभिकतं. विगेरेनो अर्थ आ थाय छे केः-जेम जेम ऊमर वीते;18/ ॥२९७॥ तेम तेम बुद्धि-शक्ति ओछी थाय; तेमां प्राणीओने काळेकरेली शरीरनी अवस्था जेमां यौवन विगेरे वय (उमर) छे. तेने जरा अ-18 थवा मृत्युना सामे जवान छे. कारण के अहीआं शरीरनी चार अवस्थाओ छे, (१) कुमार (२) योवन (३) मध्यम (४) वृद्धत्व छे,
एम जाणवू. ते शास्त्रमा कयुं छे. केx “प्रथमे वयसि नाधीतं. द्वितीए नार्जितं धनम्। ततीए न तपस्तप्त, चतुथें किं करिष्यति? ॥१॥
पहेली वयमा विद्या न भण्यो, बीजी वयमां धन न मेळव्युं. त्रीजीमां तप न को. (एवो आळसु माणस इन्द्रियो थाकता. चोथी , अवस्थामां शुं करवानो छे !) । तेथी पहेली वे अवस्था जतां वृद्धावस्थाना सामे वय जाय छे, अथवा बीजीरीते त्रण अवस्थाओ छे. (१) कुकार (२) योवन |
(३) वृद्धावस्था छे कयु छे केF “पिता रक्षति कोमारे, भर्ता रक्षति यौवने। पुत्राश्च स्थाविरे भावे, न स्त्री स्वातंत्र्यमर्हति ॥१॥"