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तपाववी, अने त्यां सुधी किनारेज उभा रहेवुं, अने शरीर सुकाया पछीज बीजा गाम तरफ विहार करवो, पण त्यां उभो रहेवाथी चोरनो भय लागतो होय तो तुर्त कायाने स्पर्श कर्या विनाज हाथ लांबा राखी गाम तरफ चाल्या जनुं.
से भिक्खू वा गामनुंगामं दूइज्जमाणे नो परेहिं सद्धिं परिजविय २ गामा० दुइ०, तभ० सं० गामा० दुइ० || (सू० १२३) सुनिए विहार करतां मळेला गृहस्थो साथै बहु बकबकाट करता जनुं नहि, पण शांतिधी चालवुं, हवे जंघा सुधीना पाणीमां उतरवानी विधि कहे छे.
से भिक्खु वा गामा० दृ० अंतरा से जंघासंतारिमे उदगे सिया, से पुव्वामेव ससीसोवरियं कार्य पाए य पमज्जिज्जा २ एग पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा तथ सं० उदगंसि आदारियं रीएजा ॥ से मि० आहारियं रीयमाणे नो हत्थेण हत्थं जाव अणासायमाणे तत्र संजयामेव जंघासंतारिमे उदए आहरियं रीइज्जा | से मिक्खू वा जंघासंतारिमे उदए आहारियं रीयमाणे नो साथावडियाए नो परिदाहपडियाए महइमहालयंसि उदयंसि कायं विउसिज्जा, तभ संजियामेव जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीएज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा पारए सिया उदगाओ तीरं पाउणित्तए, तभ संजयामेव उदउल्लेण वा २ कारण दगतीरए चिट्टिज्जा ।। से भि० उदउलं वा कार्य ससि० कार्य नो आमज्जिज्ज वा नो० अह पु० विगओदए मे काए छिन्नसिणेहे तहप्पगारं कार्य आमज्जिज्ज वा० पायविज्ज वा तओ सं० गामा० दुइ०
साधु विहार करी बीजे गाम जतां मार्गमां जांघ दुबे तेटलु पाणी होय. तो उपरनुं शरीर मुहुपत्तिथी तथा नाभी निचेनुं अदधुं शरीर ओघाथी पुंजीने पाणीमां प्रवेश करे, अने पाणीमा पेठा पछी एक जलमां मुकावो, बीजो पग उंचो करीने जनुं, पण
सूत्रम्
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