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आचा०
सूत्रम्
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विगेरेना कठोर फरसोना दुःखोने सहन करनार महावीर ( बलवान योद्धा) पुरुषोए बधा लोकने चमत्कार पमाडनारा घणो काळ आखी जींदगी सुधी अनुष्ठान कर्य छे. तेज विशेपथी कहेछे. (चोराशी लाख, ने चोराशी लाखे गुणतां जे संख्या थाय; तेटलां वरसोर्नु पूर्व थाय छे.) तेवां घणां पूर्व सुधी संयम-अनुष्ठान पाळता मुनिओ विचर्या छे. पूर्वनी संरूखा ७०, ५६०००००००००० वर्षनी छे. आ वात रिखवदेव भगवानना वखतथी ते दशमा शीतळनाथ मुधी पूर्वेनां आउखा इतां; तेने आश्रयी छे.
(आठ वर्ष उपरनी उमरना शिष्यने दीक्षा अपाय; अने तेनुं लांचे आयुष्य होय तेने आश्रयो छे.) त्यारपछी, श्रेयांसनाथ | भगवानथी वर्षनी संख्यानी प्रवृत्ति जाणवी; तथा भव्य जीवो जे मुक्ति जवाने योग्य छे, तेमने तुं जो, अने जे घासना कठोर फरसो विगेरे उपर वताव्या; ते तमारे सारी रीते सहेवा. जेम तेमणे सह्या; तेम, बीजा उत्तम साधुओ सहन करे छे. आ प्रमाणे जे उत्तम साधु सहन करे; तेने शु लाभ थाय ते कहे छे:
आगयपन्नाणाणं किसा बाहवो भवंति पयणुए य मंससोणिए विस्सेणिं कट्ट परिन्नाय, एस. तिण्णो मुत्ते विरए वियाहिए तिबेमि (सू० १८६)
आगत ते मेळवेलं छे. प्रज्ञान जेमणे तेवा गीतार्थ साधुओ तप करीने तथा परीसहो सहीने कृश (पातळी) बाहु वाळा बने छे, अथवा महान् उपसर्ग तथा परीसह विगेरेमा तेओ ज्ञान मेळवेला होवाथी तेमने पीडा ओछी होय छे. कारण के कर्म खपाचवा ४ तैयार थयेल साधुने शरीर मात्रने पीडा करनारा परीसह उपसर्गों मने सहाय करनारा छे. एवं मानवाथी तेने मननी पीडा नथी
कलर्स
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