________________
CAM
हिंसक ते हिंसा करनारो, तथा विषयो माटे आरंभ करतो ते विपयारंभक, ते बन्ने साथे लेतां हिंसक तथा विपयारंभक छे आचा०
एटले जे साधु प्राणीओनी हिंसा करे, अने विपयसुख लेवा सावध आरंभ (संसारी जेवो) करे, ते मुनी न कहेवाय, (व्याकरणना नियम प्रमाणे समास तथा विग्रह टीकामां बताव्या छे. के जेथी शब्दनो अर्थ तथा उत्पत्ति समजाय) तथा विषयसुखना माटे एक
सूत्रम् ॥५४८॥ लोज विचारे, ते एक चर छे. ते पण मुनी न कहेवाय आ त्रण अधिकार हिंसक, विषयारंभक अने एकचर छे ते पहेला उद्देशामा
॥५४॥ 18 छे. वीजा उद्देशामां हिंसादि पापस्थानथी जे दूर रहे, ते विरत मुनि थाय, ते अर्थाधिकार छे, वदन शील ते वादी, पण जे अवि-18 करत वादी होय, ते परिग्रह राखनारो बने छे, ते आ बीजा उद्देशामां बतावशे. त्रीजा उद्देशामां पूर्वे कहेलो अविरत ज्यारे परिग्रह
वालो मुनी बने छे, अर्थात् कामभोगनी वासनाथी दूर रहेलो ते मुनी छे, ते आमां बतावेल छे. चोथा उद्देशामां अव्यक्त (अगीतार्थ) 5ने मुत्रअर्थ भण्या विना तथा सूत्रार्थ परिणम्या विना एकलो फरवाथी दुःखो भोगवां पडे छे ते वताव्युं छे. पांचमामा हृदनी उपमाए
मुनी ए थवं, एटले जल भरेलो हृद ( होज) पाणी न झरी जाय, तो प्रशंसवायोग्य छे तेम बनादर्शन चारित्रथी सदा साधु भरेलो होय, अने विसरी न जाय, तथा ते तप संयम गुप्ति तथा निःसंगता राखे, तो ते शोभे छे, एम बताव्युं छे. छहा उद्देशामा उन्मार्ग (कुमार्ग) नुं वर्जन छे एटल कुदृष्टि तथा रागद्वेप छोडवानुं बताव्युं छे, आ प्रमाणे त्रण गाथानो अर्थ थयो, नामनिष्पन्न निक्षेपामां
बे प्रकारे नाम छे. ते आदान पद वडे नाम छे, तथा गौणपणाथी छे ते बन्नेने नियुक्तिकार कहे छे. 5 आयाणपएणावंति गोपणनामेण लोगसारुत्ति। लोगस्स य सारस्स य चउक्कओ होइ निकूखेवो ॥ २३९ ॥
%EGREER15%
लालसॐ
C-