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________________ एत्तो य जाणिउं मारिओ त्ति बंधू सदुक्खमभिरुयइ । वीरसिरी तह भणइ य भगिणीवइणा कयं तुझं ॥१८॥ || बंधव !पाहुन्नं सोहणं ति अहवा न तस्स इह दोसो । अवरसंति पुराकयपावाइं तस्स मज्झ वि य ॥१९॥ इच्चाइ तप्पलावे सोउं नाउं नरिंदकुंचेण । जह बंधवो इमाए हओ मए सो अणजेण ॥२०॥ || कुणइ पलावे तो एस दुक्खिओ कहमहं पिमुच्चिस्सं । अवियारियकारी एरिसाओ अइगरुयपावाओ?।२१॥ | इय गरुयविसायं वयइतह इमो जह समं सभजाए । वीरसिरीए दिक्खं पडिवजइ सुगुरुमूलम्मि ।२२ | तो वीरसिरी वरिसाइं तिन्नि आराहिऊण पव्वजं । देवत्तं संपत्ता दिवं गओ कुंचसाहू वि ॥२३॥ ॥ इति स्कन्दमुनिकथानकं समाप्तम् ॥ अथोपसंहरन्नाहइय एवमाइऊत्तमगुणरयणाहरणभूसियंगाणं । धीरपुरिसाण नमिमोतियलोयनमंसणिजाणं ।४६४। सम्यगज्ञानादयो गुणा एव रत्नाभरणं तेन भूषिताङ्गानां, शेषं सुगममित्येकादशी भावना समाप्ता।। उत्तमगुणभावनाऽनन्तरमुक्ता, उत्तमगुणानां च मध्ये जिनधर्मप्राप्तिरेवोत्तमोत्तमो गुणः, ॥४३१॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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