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| निसुणेइ गोरिगेयज्झुणीओ परिहरियतणजलो गिद्धो । पत्तो सरगोयरमन्नया य वाहेण सो निहओ ॥ जाओ नियबंधुपुरोहियस्स पुत्तो तहिं पि सवणेण | गाढं अवहरियमणो हिंडतो जोव्वणं पत्तो ॥४२॥ पच्छिमसंबंधेण य इट्ठो सो किं पि नरवरिंदस्स । तत्थ वि य जहावसरं पयट्टगेयाइं निसुणेइ ॥४३॥ रयणीइ तो कइया वि पल्लंकठियस्स नरवरिंदस्स | गायंति सरसगेयं डुबाइ तओ नरिंदेण॥४४॥ पासडिओ पुरोहियपुत्तो भणिओ महाऽऽगयाए इह । निदाइ मोक्कलेउं इमाई बच्चेज तं गेहं ॥४५॥ परिगलमाणीइ तओ रयणीए सवणसुहयरं गेयं । निसुणेतेण इमेणं न कयं वयणं नरिंदस्स ॥४६॥ | तो कुविओ नरनाहो मोक्कल्लइ जग्गियम्मि तं गेहे । उढेऊण पभाए बंधावेउं च तं विप्पं ॥४७॥ सवणेसु खिवावइ उक्कलंततउतेल्लमाइयं तह य | बहुयं विडंविऊणं मारावेउं च सो पच्छा ॥४८॥ पच्छायावं बहुयं वहेइ निंदेह तह य अप्पाणं । पेच्छ मए कह एयं विहियं थेवे वि अवराहे ? ॥४९॥
अइसयनाणी य इमेण वंदिओ तो कयाइ तस्संते । धम्मं सोऊण अवसरम्मि पुच्छइ जहा भयवं ! ॥५०॥ Ke एसो पुरोहियसुओ थेवश्वराहेऽवि किं मए एवं । निग्गहिओ ? एवं वा विहिए किं एत्तिओ हियए ॥५१॥
पच्छायावो पीई य तम्मि ? अह भगवया वि निद्दिडं । आणासारत्तेणं सो तह तुमए विणिग्गहिओ ॥ | पीई पच्छायावो य जेण सो पुव्वबंधवो तुज्झ | कह भयवं ? ति निवेणं पुट्ठो रामभवमारद्धं ॥५३॥
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