________________
ता पिय! पावारंभवियंभियकलिमलह, घरवासह दुहवासह सरवि बहुच्छलह ।
पडिवजिवि जिणमग्गु भग्गु दोग्गइपवहु, अजरामरपुरगमणुक्कंठिउ चित्तु महु ॥१५२॥ जाइसु सुत्थिइ देसि तहिं, मइ ढोल्ला ! मोक्कल्लि । अमुणिय जमभडदडवडउ, पडइ जु अज्जु कि कल्लि ॥
अह सो मुणिवि दइय अन्नेहिय, विसयविरत्त नाइ अन्नेहिय ।
निन्भरधम्मणुरायपरव्वस, जाणवि नं किर हुइय परव्वस ॥१५४॥ IS सरलंगुलिनहसुत्तिमुहवारिययाहपवाहु । सोउग्गमगग्गिरगिरइं, पभणइ पिय नरनाहु ॥१५५॥
लज्जामि अहं भिक्खं गिण्हंतीए तए परगिहेसु । ता जइ 'मे अंतेउरमज्झे च्चिय विहरसि तओऽहं ॥१५६ Kill मुंचामि तीइ भणियं एवं होउ त्ति तो निवो भणइ । मोत्तूण वयं मज्झ वि अन्नं परिकहसु जं किच्चं ॥ । KM तो भणइ पिया गिण्हसु सम्मत्तं ताव नाह ! गुरुमूले । जीवदयामूलाई गिहिव्वयाइं च जं भणियं ॥
जाई सुपत्तपयाणई गुरुदेवचणइं, बंभचेर सच्चव्वय परधणवजणइं ।
निम्ममत्त तवचरण मणिदियसाहणइं, ताइं अहिंसाधम्मह सयलई साहणइं ॥१५९॥ १. मह-सर्वत्र॥
। १७९ ।।