________________
विकलेन्द्रिय गतीगमने प्रियंगु वणिगाख्यानकम्
भव- वड्ढंतो सो पत्तो कुमारभावं अईव स्वधरो । लेहायरियस्स समप्पिओ य विपस्स तो एसो ॥११॥ भावना बावत्तरि कलाओ अहिजए तस्स अंतिए कमसो । एत्तो य सत्थवाहो महिड्ढिओ संदरो नाम ॥१२॥ प्रकरणे
वसइ तहिं चिय तस्स य वररूवा बालपंडिया धूया । पन्नाए नामेण य सरस्सई अस्थि एसा वि ॥१३॥
तस्सेव अंनिए बंभणस्स इत्थीजणस्स उचियाओ । गिण्हइ कलाओ भजं अहऽन्नया कुट्टए विप्पो ।१४॥ PI तो देवदिन्नपमुहा वारेंति अहिजगा तयं सव्वे । एक्का सरस्सई उण चलिया ठाणाओ विन तत्थ ।१५। तो भणइ देवदिन्नो तं कीस उहिया तओ एसा । कुहिजंती उज्झाइणि त्ति ? तो भणइ एसा वि ॥
किमिमीण कुमहिलाणं तत्तीए ? तो भणेइ विम्हइओ ।
इयरोऽवि किह कुमहिला एसा ? सा भणइ निसुणेसु ॥१७॥ सा किं महिला भण्णइ भत्तारं जा न निययदासं व । तलहट्टवेइ पाए आवयवडियस्स साहेजं ॥१८॥ तस्स वि न कुणइ इचाइ जंपियं तीइ तं निसामेउं । अञ्चग्गलत्तगब्वियहियया 'एस त्ति भावेउं ॥१९॥ नूणं विवाहिऊणं उज्यव्वा इमा मए तह य । दिट्ठीए न निएस्सं जेणऽणुहुंजइ सगव्वदुहं ॥२०॥ इय चिंतिउंच तुसिणीइ संठिओ देवदिन्नवणिपुत्तो। सोऽभिप्पाओ तीएवि लक्खिओ तस्स समईए १ इच्चाइ-सर्वत्र ॥
॥ १२२॥