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भवभावना प्रकरण
अहिणवसुरो व्व दिट्टो पुत्तो जणएहिं पवररूवधरो। आणंदियाई तत्तो वद्धावणयं करावेंति ॥४७॥ धनपच्छा संविहिऊणं गुरुविच्छड्डेण जंति सयलाई । जत्ताए करणत्थं जंबूदेवीइ भवणम्मि ॥४८॥ प्रियस्य तो वेचिऊण बहुयं दविणं भत्तीइ कारिया जत्ता । जंबूदिन्नो पाएसु पाडिओ भारियाइ समं ॥४९॥ एकेन्द्रिये सिरिनेमिजिणिंदस्स वि विहिया जत्ता धणप्पियं मोत्तुं । हरिसियहियएहिं सेसएहिं सुकयत्थमप्पाणं ।
गमनम् मन्नतेहिं तत्तो गयाइं सव्वाइं निययठाणम्मि | तो साहुणीण पासे धम्म सोऊण सद्धाए ॥५१॥ धणवइनारासिरीओ जायाओ सावियाउ पवराओ । जंबूदिन्नो विहु निसुणिऊण धम्मं जिणाभिहियं ॥ साहूण सन्निगासेऽणुव्वयधारी सुसावओ जाओ । चिट्ठइ धणप्पिओ पुण घरवामोहेण वामूढो ॥५३॥ जाया य सुया चउरो जंबूदिन्नस्स तो अणुक्कमसो । चिट्ठइ धणप्पिओ ताण नेहवामोहसंमूढो ॥५४॥ सावयधम्मं सुइरं पालेउ धणवई य पज्जते । काऊण सुद्धभावेण अणसणं अद्धमासीयं ॥५५॥ चउपलियाऊ जाओ सोहम्मे सुरवरो महिडीओ । जेडं सुयं कुटुंबे ठावे जंबुदिन्नो वि ॥५६॥ अइसयनाणीण गुरूण सन्निहाणम्मि गिण्हए दिक्खं । सह नागसिरीइ तओ पढेइ सुत्तं थविरमूले ॥ * नागसिरी वि अहिजइ सुत्तं मूले पवत्तिणिपयाणं । उग्गं काऊण तवं दोन्नि वि सिद्धाई तो कमसो॥ * धम्माधम्मविसेसो धणप्पिएणं कया वि न हु नाओ । अन्नाणमोहमूढो ठिओ सया मुग्गसेलो व्च ॥५९॥ ॥१२ ॥