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मनोबली यह ऋद्धि भई सुखदाइ जू
___ भये सिद्ध सुखदाय जजू नित पाय ज ॥३७॥ सिद्ध
ॐ ह्री मनोबली ऋद्धि सिद्धेभ्यो नम अयं । वि• भिन्न भिन्न अति शुद्ध उच्चस्वर उच्चरै,एक महूरत अन्तर श्रुत वर्णनकर। ४६ बचनवलीयह ऋद्धि भई सुखदायजू भयो सिद्ध सुखदाय जजू तिन पायजू ॥
ॐ ह्री बचनबली ऋद्धि सिद्ध भ्यो नम अघ्र्य । खड्गासन इक अंगमासद्वैमासलौं अचलरूप थिररहै छिनक खेदित न हो। कायबली यह ऋद्धिभई सुखदाय ज, भयेसिद्ध सुखदाय जजो तिन पायजू
*ह्री कायबली ऋद्धि सिद्ध भ्यो नम अध्यं । अतिपरस चरु क्षीरहोय करधरतही,बचनखिरत पर-श्रवरणतुष्टताकरती क्षीरश्रावि यह ऋद्धिभई सुखदाय जू, भयेसिद्धसुखदाय जतिन पायजू
ॐ ह्री क्षीर श्रावी ऋद्धि सिद्ध भ्यो नमः अयं । रूखेभोजनसे करमें घृतरस श्रवै, वचनसुनत परको घृतसम स्वादित हवै अपर सर्पिश्रावि यहऋद्धिभई सुखदाय जू, भये सिद्धसुखदाय जजू तिन पायजू
ॐ ह्री सर्पिश्रावीऋद्धि सिद्ध भ्यो नम अध्यं ।
प्रथम
पूजा