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________________ दर्व २० शुद्धाशुद्धि पत्र पृष्ठ पक्ति अशुद्ध शुद्ध ४ ११ सरेफ हकार सुरेफ सुविदुहकार १७५ अछेद अदूज १ ह्रीकार अन्त ह्री ६ चाहूँ, ज्ञेय चहुँ गुरण गैह १३ इस शुभ इम धरि २ अविकार विकार ८ ४ दर्प 8 अधिकार्थ अधिकाय , १२ कर्मनशाय युग क्रमावर्तनशाय १४ (जाप्य यहा के बजाय जयमाला प्रकृति युगपत के अन्त मे देना चाहिए ) १४ अछेद अदूज २२ ११ सरेफ विन्दु हकार सुरेफ सुविंदु हकार १ ज्ञेय गेह २३ १० प्रभु पूजो तुम पूजो १० १ इन्द्रिय नाही इन्द्रिय ताही (टेर मे ठीक करे ) १० १३ (जाप्य मंत्र यहा न पढकर जयमाला | २६ १२ अछेद अदूज के वाद मे करे) , १३ चाहूँ, ज्ञेय चहुँ गुरण गेह ५ दुखकरण उपकरण |३३ ७ काम पाप , वाध व्याध ___E (जयमाला यही से चालू करे) १४ विकारहुत पर का विकार १२ (यहा अर्घ नहीं चढाना तथा जाप्यमत्र ५ सरेफ विदुहकार सुरेफ सुविंदु हकार जय माला के बाद पढन ) ( हासियापर प्रथम पूजा आदि कई जगह ८ दहन की दहन दौं गलत छप गई हैं, पूजानुसार ठीक करले) ३५ ५ विदुहकार सुर्विदुहकार १५ १२ को कहा हो कहाँ ५ भूखा भूखा १३ उधार उधार ३८ ८ (पृष्ठ ५१ मे छपा 'निर्मल सलिल " १७ १ करि वर आदि अर्घ यहा बोले)
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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