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दर्व
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शुद्धाशुद्धि पत्र पृष्ठ पक्ति अशुद्ध
शुद्ध ४ ११ सरेफ हकार सुरेफ सुविदुहकार १७५ अछेद
अदूज १ ह्रीकार अन्त ह्री
६ चाहूँ, ज्ञेय
चहुँ गुरण गैह १३ इस शुभ इम धरि
२ अविकार विकार ८ ४ दर्प
8 अधिकार्थ अधिकाय , १२ कर्मनशाय युग क्रमावर्तनशाय
१४ (जाप्य यहा के बजाय जयमाला प्रकृति युगपत
के अन्त मे देना चाहिए ) १४ अछेद अदूज
२२ ११ सरेफ विन्दु हकार सुरेफ सुविंदु हकार १ ज्ञेय गेह
२३ १० प्रभु पूजो तुम पूजो १० १ इन्द्रिय नाही इन्द्रिय ताही
(टेर मे ठीक करे ) १० १३ (जाप्य मंत्र यहा न पढकर जयमाला | २६ १२ अछेद अदूज के वाद मे करे)
, १३ चाहूँ, ज्ञेय चहुँ गुरण गेह ५ दुखकरण उपकरण |३३ ७ काम
पाप , वाध व्याध
___E (जयमाला यही से चालू करे) १४ विकारहुत पर का विकार १२ (यहा अर्घ नहीं चढाना तथा जाप्यमत्र ५ सरेफ विदुहकार सुरेफ सुविंदु हकार
जय माला के बाद पढन ) ( हासियापर प्रथम पूजा आदि कई जगह ८ दहन की
दहन दौं गलत छप गई हैं, पूजानुसार ठीक करले) ३५ ५ विदुहकार सुर्विदुहकार १५ १२ को कहा हो कहाँ
५ भूखा
भूखा १३ उधार उधार
३८ ८ (पृष्ठ ५१ मे छपा 'निर्मल सलिल " १७ १ करि वर
आदि अर्घ यहा बोले)