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पर्म शुद्ध उपयोग रूप वरते जहां, छिनमें नन्तानन्त कर्म खिर है तहां मोक्षमार्ग ० ॐ ह्री साधुनिर्जरानिमित्ताय नमः अयं । ४६५ ।।
सिद्ध
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मोक्षमार्ग ० ॐ
सिकल विभाव प्रभाव निर्जरा करत है, ज्योरवितेजप्रचड सकलतमहरत है ह्री साधुनिर्जरागुणाय नम अर्घ्यं ।। ४६६ ।। जेसंसार निर्मित ते सब दुखरूप है, तुम निमित्त शिव कारण शुद्ध तूप हैं मोक्षमाग ॐ ही साधुनिमित्तमुक्ताय नम ग्रयं ॥४६७ ।
संशयरहित सुनिश्चै सम्मतिदाय हो, मिथ्या भूमतमनाशन सहज उपाय हो
मोक्षमार्ग ०
ह्री माधुबोधधर्माय नम अयं ॥ ४८ ॥
प्रतिविशुद्ध निजज्ञान स्वभावसुधरतहो, भव्यनकेसंशयत्रादिकतमहरत हो ! मोक्षमार्ग० श्री ही साधुवोधगुणाय नम अयं ॥ ४६ ॥ श्रविनाशी अविकार परम शिवधामहो, पायोसोतुमसुगतमहाअभिरामहो मोक्षमार्ग ० ॐ ह्रीं माघुमुगतिभावाय नम अध्यं ॥ ५०० ॥
जासो परे न और जन्म वा मरण है, सो उत्तम उत्कृष्ट परम गतिको लहँ सप्तमी मोक्षमार्ग० ॐ ह्री माधुकरमगतिभावाय नम प्रध्यं ॥ ५०१
पूजा
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पर निमित्त रागादिक जे परनाम हैं, इन विभावसों रहित साधुशुभ नाम साघुविभावरहिताय नमः अर्घ्यं ॥ ५०२ ॥
मोक्षमार्ग