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सिद्ध
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गुणाय नम ।७।। ॐ परमस्थानाय नमः॥८॥ ॐ परमयोगिनेनम ||| ॐपरमभाग्याय नम ।।१०।। ॐ परमर्द्धये नम ॥११ ॐ परमप्रसादाय नमः ||१२|| ॐ परमकांक्षिताय नम ।।१३।। ॐ परमविजयाय नमः ।।१४।। ॐ परमविज्ञानाय नमः ॥१५।। ॐपरमदर्शनाय । नम ॥१६॥ ॐ परमवीर्याय नम ॥१७॥ ॐ परमसुखाय नमः ॥१८॥ ॐ परमसर्वज्ञाय? नम ॥१६।। ॐ अर्हते नम ॥२०॥ ॐ परमेष्ठिने नमः ॥२१॥ ॐ परमने नमो नम ॥२२॥ ॐसम्यग्दृष्टे २ त्रैलोक्यविजय त्रैलोक्यविजय धर्ममूर्तेधर्ममूर्तेधर्मनेमे २ स्वाहा ॥२३॥
सेवाफल पटपरमम्थान भवतु, अपमृत्युविनाशन भवतु, समाधिमरण भवतु स्वाहा । धूपै सन्धूपितानेक-कर्मभिधू पदायिनः, अर्चयानि जिनाधोश-सदागमगुरून् गुरून् ।।१।। ___ॐ ह्री श्रीमज्जिनश्रुतगुरुभ्यो नम धूपम् । सुरभी-कृत-दिग्वातै पधूमैर्जगत-प्रिय । यजामि जिनसिद्धेश-सूर्युपाध्यायसद्-गुरुन् ।।
ॐ ह्री पचपरमेष्ठिभ्यो नम धूपम् ।। मृद्वग्नि-सगम-समुज्वलनोरुधूमै , कृष्णागुरु-प्रभृति-सुन्दर-वस्तु-धूपै । प्रीत्या नटद्भिरिव ताण्डव-नृत्यमुच्चै , कर्मारि-दारु-दहन जिनमर्चयामि ॥३॥
ॐ ह्री अर्हत्परमेष्ठिने नम धूपम् । गोत्र-क्षय-सभव-सतत-सभव-सद्गुरु-लघुता-रूप-परम् ।
सर्गमसर्गमपीतमनुक्षण-मुज्झित-सर्गासग-भरम् ।। कृष्णागुरुधूपै सुरभितभूपैयूं मै स्पष्टहरिद्रूप
__यायज्म सिद्ध सर्वविशुद्ध बुद्धमरुद्ध गुणरुद्धम् ॥४॥ ॐ ह्री सिद्धपरमेष्ठिने नम धूपम् ।
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