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जातिमन्त्र ॐ सत्यजन्मन शरण प्रपद्ये ॥१॥ ॐ अर्हज्जन्मन शरणं प्रपद्ये ॥२॥ ॐ, १० अर्हन्मातु शरण प्रपद्य ।।३।। ॐ अर्हत्सुतस्य शरण प्रपद्ये ॥४॥ ॐ अनादिगमनस्य शरण, २६६ प्रपद्य ।।५।। ॐ अनुगमजन्मन शरण प्रपद्ये ॥६।। ॐ रत्नत्रयस्य शरणं प्रपद्य ॥७॥ ॐ । सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृप्टें ज्ञानमूर्ते ज्ञानमूर्ते सरस्वति सरस्वति स्वाहा ।।८।। सेव'फल पटपरमस्थान भवतु, अपमृत्युविनाशन भवतु, समाधिमरण भवतु स्वाहा ।।।
निस्तारकमन्त्र ॐ सत्यजाताय स्वाहा ।।१।। ॐ अर्हज्जाताय स्वाहा ॥२॥ ॐ षट्कर्मणे स्वाहा ॥३॥ ॐ ग्रामपतये स्वाहा ॥४॥ ॐ अनादिश्रोत्रियाय स्वाहा ।।५।। ॐ स्नातकाय स्वाहा ॥६॥ॐ श्रावकाय स्वाहा ।।७।। ॐ देवव्राह्मणाय स्वाहा ॥८॥ ॐ सुब्राह्मणाय स्वाहा ॥॥ ॐ अनुपमाय स्वाहा ॥१०॥ ॐसम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे निधिपते निधिपते वैश्रवण वैश्रवण स्वाहा । ॥११।। सेवाफल पट्परमस्थान भवतु, अपमृत्युविनाशन भवतु, समाधिमरण भव तुस्वाहा ॥
ऋषिमन्त्र *सत्यजाताय नम ॥१२॥ ॐ अर्हज्जाताय नम.॥२।। ॐ निर्ग्रन्थाय नम ॥३॥ ॐ वीतरागाय नम ॥४।। ॐ महाव्रताय नम ||५|| ॐ त्रिगुप्ताय नम ॥६।। ॐ महायोगाय नम ||७|| ॐ विविधयोगाय नम ॥८॥ ॐ विविधये नम |||| ॐ अद्भधराय नमः ॥१०॥ ॐ पूर्वधराय नमः ।।११।। ॐ गणधराय नम ॥१२॥ ॐ परमर्षिभ्यो नमो नम ||१३|| ॐ अनुपमजाताय नमो नमः॥१४॥ ॐ सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते
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