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खपायो प्रथम सात प्रकृति विमोहा, गहो शुद्ध श्रेणी क्षयोकर्मलोहा।। भये सिद्ध राजा निजानंद साजा, यही मोक्ष नाजा नमःसिद्ध काजा॥
ॐ ह्री क्षपकश्रेणीसिद्ध भ्य नम. अध्यं ।।१३३॥ समय एक मे एक वासौ भनंता, धरो पाठ तापं यही भेद अन्ता। भये सिद्ध राजा निजानंद साजा यही मोक्ष नाजा नमःसिद्ध काजा ॥
ॐ ह्री एकसमयसिद्धेभ्यो नमः अध्यं ॥ १३४ ॥ किसी देशमे वा किसी काल माहीं, गिने दो समयमें तथा अंतराई। भये सिद्ध राजा निजानंद साजा, यही मोक्ष नाजा नमः सिद्ध काजा॥
ॐ ह्री द्विसमसिद्ध'भ्यो नम अयं ॥ १३५॥ समय एक दो तीन धाराप्रवाही, कियो कर्म छय अन्तराय होय नाहीं। भये सिद्ध राजा निजानंद साजा, यही मोक्ष नाजा नमःसिद्ध काजा॥
ह्री त्रिसमयसिद्ध भ्यो नमः अध्यं ॥१३६॥ हुवे हो सु होगे सु हो है अबारी, त्रिकालं सदा मोक्ष पंथा विहारी। भये सिद्ध राजा निजानंद साजा यही मोक्ष नाजा नमः सिद्ध काजा॥
ॐ ह्री त्रिकालसिद्ध भ्यो नमा अध्यं ॥१३॥
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