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सब विधि अपने विघ्न निवारण, औरन विघ्न विडारी। मंगलमय अर्हत सर्वदा, नम मुक्ति पदधारी ॥२३॥
ह्री अहंन्मगलाय नमः अध्यं ।। चक्षु आदि सब विधन विदूरित, छाइक मंगलकारी । यह अर्हत दर्श पायो मै, नमू भये शिव कारी ॥२४॥
ॐ ह्री अर्हन्मगदर्शनाय नमः अध्यं । निजपर संशय आदि पाय विन, निरावरण विकसानो। मंगलयय परहंत ज्ञान है, बन्दू शिव सुख थानो ॥२५॥
ॐ ह्री अर्हन्मगलज्ञानाय नमः अध्यं । परकृत जरा आदि संकट विन, अतुल बली अहंता। नमू सदा शिवनारी के संग, सुखसों केलि करंता ॥२६॥
___ह्री अर्हन्मगलवीर्याय नमः मध्यं । पापरूप एकान्त पक्ष विन, सर्व तत्त्व परकाशी । द्वादशाग अरहन्त कहो मै, नमूभये शिववासी ॥२७॥
ॐ ह्री अर्हन्मगलद्वादशागाय नमः अध्यं ।
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षष्ठम्
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