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सिद्ध
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हो दान देनको भावा, दे सके न कोटि उपावा। दानांतराय परजारा, हम पूज रचो सुखकारा॥१५१॥
ॐही दानातरायकर्मरहिताय नम अध्यं । मन दानलेन को भावे, दातार प्रसंग न पावै । लाभांतराय परजारा, हम पूज रचो सुखकारा ॥१५२॥
ॐ ह्री लाभातरायकर्मरहिताय नम अध्यं । पुष्पादिक चाहै भोगा, पर पाय न अवसर योगा। भोगांतराय परजारा, हम पूज रचो सुखकारा ॥१५३॥
ॐ ह्री भोगातरायकर्मरहिताय नम अयं । तिय आदिक बारम्बारा, नहिं भोग सके हितकारा। उपभोगांतराय परजारा, हम पूज रचो सुखकारा॥१५४॥ ____ॐ ह्री उपभोगातरायकर्मरहिताय नम अध्यं ..
षष्ठम चेतन निज बल प्रकटावे, यह योग कभू नहिं पाते। वीर्यान्तराय परजारा, हम पूज रचो सुखकारा ॥१५॥ ॐ ह्री वीर्यान्तरायकर्मरहिताय नम' अध्यं ।
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पूजा