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यह प्रकारा अशुभ नाम भासो, नमामि देवं तिस देह नासो॥१३६॥ सिद्ध
ॐ ह्री प्रशुभनामकर्मरहिताय नम अयं । चि अनेक लोकोत्तम भावधारी, करै सभी तापर प्रीति भारी। १२३ । सुभगताको यह भेद भासो, नमामि देवं तिस देह नासो ॥१३७॥
ह्री सुभगनामकर्मरहिताय नमः अध्यं । धरै अनेका गुण तो न जासो, करै कभी प्रीति न कोई तासों। दुर्भाग ताको यह भेद भासो, नमामि देवं तिस देह नासो ॥१३॥
ॐ ह्री दुभंगकर्मरहिताय नमः अध्यं ।।
पद्धडी छन्द। ध्वनि वीन भाति ज्यो मधुर बैन, निसरै पिक आदिक सुरस दैन । यह सुस्वर नामे प्रकृति कहाय, तुम हनो नमूनिज शीसलाय ॥१३॥
-- ॐ ह्री सुस्वरनामकर्मरहिताय नम. अयं ।। * गर्दभस्वर जैसो कहो भास, तैसो रव अशुभ कहो सु भास । एषष्ठम है यह दुस्वर नाम प्रकृत कहाय, तुम हनो नमूनिज शीस लाय ॥१४०॥४
१२३ प्रस्ट भूतवानी समान, असुहावन भयकर शब्द जान । ऐसा भी पाठ है।
पुजा