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14 वि, सामग्री शुद्ध प्राक, ढाक, पलास आदि की समिध, दशाग धूप, छाड, छवीला, ग्वस आदि मुग१.न्धित द्रव्य, मेवा, वूरा, वृत आदि शक्त्यनुसार लेना चाहिए। यह मक्षेप मे इस विधान की विधि है।
अभिषेक पूर्वक विधान सिद्धचक्र विधान की विधि ऊपर बताई जा चुकी है। जिन्हे अभिपक आदि पूर्वक १ विधान करना हो वे निम्न प्रकार से करे -सर्व प्रथम जल शुद्वि करना चाहिए ।
॥ जल शुद्धि मत्र । हा ह्रीं ह्र. ह्रीं ह्रः नमोऽहते भगवते श्रीमते पद्म-महापद्म-तिगिछ-केसरि-पुण्डरोकमहापुंडरीक-गगा-सिंधु-रोहिद्रोहितास्या-हरिद्धरिकाता-सीता-सोतोदा-नारी-नरकांतासुवर्णरूप्यकूला-रक्ता-रक्तोदा-पयोधि-शुद्ध-जल-सुवर्ण-घट-प्रक्षिप्त-नवरत्न-गधाक्षतपुष्पाचितमामोदक पवित्र कुरु कुरु झ झ झीँ झी व व ह ह स स तं त प पं द्रा द्रा द्री द्रों ह स. स्वाहा ।। । अङ्ग शुद्धि-सौगध्य-सगत-मधुव्रत-झकृतेन संवर्ण्यमानमिव गंधमनिन्द्यमादौ।।
आरोपयामि विबुधेश्वर-वृन्द-वन्य पादारविंदमभिवद्य जिनोत्तमानाम् ॥ ॐ ह्री अमृते अमृतोद्भवे अमृतवपिणि अमृत स्रावय स्रावय स म क्ली क्ली ब्लू ब्लू द्रा द्रा