________________
____ भावार्य ॥ ३६-२॥ सेजांतरना सगा सेजांतरना एकज घरमा रहे है जेने एफज बार[-छे, एकज निकळवानो पेसवानो । ४ मार्ग है तेमां सेजांतरना जुदा जुदा चुला छे, सेनांतरना उपर वळी जे सगानी आजीविका के तेमांथी आहार आपे तो ते.. , भादार साधुने वोहोरवो कल्पे नहिं ।। ३६-२॥
अर्थ ।। ३६-३॥सा० सेजांतरना । ना० सगा। सिकेसा० सेजांतरना। अ० जुदा जुदा । व० घरने वि।। । अ० जुदा जुदा । दु० द्वार (वारणां) छे । अ० जुदा जुदा । नि० निफळवाना। प० पेसवाना मार्ग छे । सा० सेजांत
रना । ए० एकज । व० चूलो है। सा० सेजांतर उपर । च० वळी । उ० जेनी आजीविका छ । त• तेमांथी। दा० दीए । ।। तो । नो० न । से० ते साधुने । क० कल्पे । ५० लेवो ॥ ३६-३॥ मृळपाठ ॥ ३६-३ ॥ सागारियनायए सिया सागारियस्त अभिनिवगमाए अभिनिदु
वाराए अनिनिक्खमणपवेसाए सागारियस्स एगवयू सागारियं च उपजीवश
तम्हा दावए, नो से कप्पर पनिगाहेत्तए ॥ ३६-३॥ भावार्थ ।। ३६-३ ॥ सेजांतरना सगा छे. सेजांतरना जुदा जुदा घर छे तेने जुदां जुदा वारणां छे, जुदा जुदा निक- .. * रानाने पेसवाना मार्ग है तेमां सेजांतरनो एकज चुलो छ, सेजांनरना उपर तेना सगानी आजीविका चाले-ठे तेमाथी आ-, ॐ पर नहोराये तो साधुने ते आहार लेवो कल्पे नहि ॥ ३६-३॥ .