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१. अन्यो अन्य वडेरो कर्या विना | उ० अगीकार करीने । वि० विचरg (कल्पे नहिं)। क. कल्पे । ण्ड० वळी । अ० लघुए ।
रा० वढेरा साथे वंदणा करी । अ० पाहोमांहि । उ० अंगीकार करीने । वि० विचर कल्पे ॥ २९ ॥ 5. मुळपाठ ॥ २७ ॥ ववे निक्खुणो एगययो विहरन्ति, नो एहं कप्पइ अन्नमन्नं जवसं
पजित्ताणं विहरित्तए. कप्पर एहं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उरसंपत्तिाणं
विहरित्तए ॥ ए॥ भावार्थ ।। २९ ॥ घणा साधुओ एकठा थइ विचरे तेमणे अन्योअन्य वडेराने कर्या विना अंगीकार करीने विचरवू कल्पे हैं | नदि. लघुए वडेराने अंगीकार करीने विचर, फल्पे ॥ २९ ॥ ___ अर्ध ।। ३० ॥ २० घणा । ग० गणावच्छेदक । ए० एकटा । वि० विचरे छ। नो० नहिं । हं० वळी । क० कल्पे एकवीजाने वडेरो फर्या विना । अ० माहोमांहि । उ० अंगीकार करी । वि० विचरवू न कल्पे । क० कल्पे । ६० वळी । अ० लघुए । रा० मोटाने वढेरो करी । अ० माहोमांहि । उ० अंगीकार करी । वि० विचर, कल्पे ॥ ३०॥ मूळपाठ ॥ ३० ॥ वहवे गणावलेइया एगयो विहरन्ति, नो एहं कप्पइ अन्नमन्नं उव
संपत्तिाणं विहरित्तए. कप्पइ महं अहाराणियाए अन्नमन्नं जवसंपजि. ताणं विहरित्तए ॥ ३०॥
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