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विहि ! दिंतो दुहमणि ? ॥ २२९ ॥ हा अजउत्त ! जुत्ता असमिक्खियकारिया ण ते एसा । दहिही हिययं अहियं अणुतावो धीर! तुह विउणो ॥ २३० ॥ जाणंतीए ण कओ णाह ! मए तुज्झ विप्पियलवोवि । अण्णाणकए पिययम ! नहु जुत्तो एरिसो दंडो ॥ २३१ ॥ कन्ने जवेण केणवि सिद्धं तुह किंपि तं न याणामि । सद्दहसु मा वि सुमिणंतरेऽवि सीलस्स मालिण्णं ॥ २३२ ॥ सो णेहो सो पणओ सा पडिवत्ती तयं सुहालवणं । एक्कपए च्चिय निग्घिण ! कह पम्हुङ्कं तुयाणिं ? ॥ २३३ ॥ खणरत्तखणविरत्ता नारी, पडिवन्नपालिणो पुरिसा । एसावि जणपसिद्धी विवरीया अज्ज संजाया ॥ २३४ ॥ हा ताय ! माय ! भाग्य ! आसि अहं पाणवल्लहा तुम्ह । ता किंण परित्तायह मरमाणिं दुक्खमरणेण ॥२३५॥ पीडाबसाउ तीए तक्खणमाउलियमुयरमइलज्जं । चित्तम्मि वहंती जाणिऊण पसवस्स सा समयं ॥ २३६ ॥ पच्चासन्नम्मि गया वणगुम्मे सूलवेयणा जाया । कहवि पसूया किच्छेण वेयणाएऽवसाणम्मि ॥ २३७ ॥ चलणाणमंतराले देवकुमारोधमं सुयं नियइ । गहिया हरिसेण तहा तक्खणओ गुरुविसाएण ॥ २३८ ॥ जहा । आवइगयंपि सुहयइ तोसइ गुरुसो - | यगहियहिययपि । मरमाणंपि जियावइ अवञ्चजम्मो जणं लोए ॥ २३९ ॥ भणइ सुजायं पुत्तय ! होज्जसु दीहाउओ | सुही सययं । वच्छ ! करेमि किमन्नं वद्धावणयं तुह अभग्गा ? ॥ २४० ॥ एत्थंतरम्मि पुत्तो तडफडतो पणईतडाभि| मुहं । लुढिडं लग्गो चलणेसु धरिय अह जंपिडं लग्गा ॥ २४२॥ हाहा कयंत ! निग्विण ! तुट्ठो सि न एत्तिएण किं पाव ! । दाऊण पुत्तयं जं पुणोवि अवहरिउमारद्धो ? ॥ २४२ ॥ भयवइ ! णइदेवि ! तुहं पडिया पाएसु दीणवयणा हं । पणयपियंकरि ! करुणं करेहि अवहीर मा एयं ॥ २४३ ॥ जइ जयइ जए सीलं जइ ता सीलं कलंकियं न भए । ता देवनाणनयणे !