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पयनिवियनिवामठाणेमु । पक्खुभियजलहिकलोलतुलसत्ताठिया सबे ॥ १८७ ॥ उत्तुंगधंभसंभारभासमाणं करावए राया। तीए सयंवर मंडयमुद्दे उपडागसयसहियं ॥ १८८ ॥ रयणमय भूरितोरणमइरम्मयसालिभंजियाकलियं । बहुमत्तवा| रणं वारणाण दसणेहिं निम्मवियं ॥ १८९ ॥ अह वासरे पसत्ये दोवइकण्णं समं समीहंता । रूढक्कमेण सबै नराहिया तत्थ उचविट्ठा ॥ १९० ॥ सावि य पहाया कयसिंगारा गिहवेइएऽभिवंदित्ता । पुव्वुत्तरोहिणीकनगाव अह तत्थ संपता || १९१ ॥ सक्खं अपासमाणा कस्स वि सा राइणो वयणकमलं । ता दप्पणतलसंकंतमेवमालोइई लग्गा ॥ ९९२ ॥ जं | जं पेच्छड़ सो सो न रोयए जा गया निविट्ठाण । पंचन्ह पंडवाणं पुरओ दिसु तेसु कमा ॥ १९३ ॥ नो अग्गओ न पच्छावि गंतुमेमा सहावओ झत्ति । पुवनियाणवसाओ तेसिं खंघे खिवइ मालं ॥ १९४ ॥ तो जायपमोयभरा वसुदेवाई | नराहिया सवे । उच्छालियतुमुलरवा भणंति अवो ! सुवरियंति ॥ १९५ ॥ धन्नो दुवओ धना य चुलणिया जेसिमंगजा| याए। नरपवरा भत्तारा समगं चिय पंचसंपन्ना ॥ १९६ ॥ विहिए पाणिग्गहणे सुवण्णकोडीओ अट्ठ दुवयनियो । रुप्पस्स तहा वियर धूयाए दोवईए तया ॥ १९७ ॥ विहिउत्तमसकारा तो तेण विसज्जिया पुहइवाला । विम्हियाहियया सवे | नियनियठाणेसु संपत्ता ॥ १९८ ॥ पंचहिं सुएहिं बहुयाइ दोवईए बहुं विरायंतो । एत्तो नियम्मि नयरे दुवएण विसज्जिओ पंटू ॥ १९९ ॥ ते पंच पंडवा दोवईए देवीइ वारगवसेण । भोगे उदाररूवे दिणाणि भुंजंतगा निंति ॥ २०० ॥ कइयावि पंदुराया जुहिडिराईहिं पंचहि सुएहिं । कुंतीए दोवईए परिगओ चिट्ठइ निसन्नो ॥ २०१ ॥ अंतेउरस्स अंतो ता रणकंइपिओ कुओ वि तर्हि । नारयमुणी समायाओ दंसणेणं अइपसन्नो ॥ २०२ ॥ अंतो अइकलुसमणो वाहिं मज्झत्थयं परं