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॥ २२२ ।। पावेइ अंधभावं मूलाओ उक्खयच्छिजुयल्लव । वसिमाभिमुहमइंती सज्जोच्चिय होइ सज्जक्खा ॥ २२३ ॥ अदि| *पवयरनिहालणाओ सकोउगमणेण । डिभनियरेण अणुगम्ममाणमग्गा कयरवेण ॥ २२४ ॥ लोएण विहियधीधीरवेण|
पदमारियत्ति भणिऊण । अइदूरं निप्पिहमाणसेण पायडियरोसेण ॥ २२५ ॥ खिसिज्जंती पुरचच्चरेसु रच्छासु तह चउकेसु । हिंडती मग्गंती भिक्खामेत्तंपि अलहंती ॥ २२६ ॥ कलुणवयणा पलावे पए २ णेगहा कुणंती य । दिट्ठा तज्जणगजणेण १ मुणियफजेण भणियं च ।। २२७ ॥ ही ही सीलविलंघणमलंघदुहलक्खखाणिभूयमिणं । जत्तो एसा इह चेव पाविया आ-द
वई गरुयं ॥ २२८ ॥ तो सोमाए निवेइयमम्मो! विरई इमस्स मे गहिया। पुत्ति ! कयत्था सि तुम मरणेवि इमा न तामोत्तया ॥ २२९ ॥ तत्तो थेवंतरमागयाण पडिओ पहम्मि दिट्ठीए । अच्चतमसंतुट्ठो विवन्नवहणो णरो एगो ॥ २३० ॥ कह*मपि ममुदमझाओ तीरभागं समागओ रोगी । मच्छाहारवसाओ परिभूओ सबलोएण ॥ २३१ ॥ लोभभुयंगमविसविंभ
लेण तेणं कयाचि सुयमेयं । परवंचणापराओ धुत्तजणाओ भमंतेणं ॥ २३२ ॥ पुत्ते वलिम्मि गहिए अमुगट्ठाणम्मि जो निही अस्थि । मो उग्घडइ निहोडियदालिदविडवणादुक्खो ॥ २३३ ॥ कसिणाए चउदसीए समयम्मि णिसाए तेण णिय
पुनो। दिन्नो निहाणरक्खाकराए देवीए खंडित्ता ॥ २३४ ॥ अच्चंतपाववसओ उग्घडिओवि हु न सो निही तस्स । १/फलिभो णाओऽण्णजणेण वंछिओ वली गओ तस्स ॥ २३५ ॥ निभच्छिओ जणेणं एसो अहमाहमो अदयो । अग्गेज्झ
नामगो एम एव महता समाणेण ॥ २३६ ॥ गहिओ नगरारक्खगलोएणं नग्गओ कओ संतो। चारगगेहाभिमुहं निजतो चारविच्छरिओ ॥ २३७॥ दिहो जणगेहिं तओ पायमसंतोसफलमणहवंतो। इय जाओ एस वियाणिओय भणियं
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