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अह रण्णा तदुवरिसंजायरागेण ॥ ४ ॥ विविपयारेहिं मग्गिऊण मंतिं सयं समुबूढा । परिणयणाणंतरमवि खित्ता अंतंउरे सा उ ॥ ५ ॥ अन्नन्नपवर मापसंगवासंगओ य नरवइणा । विस्सुमरिया चिरेण य दहुं ओलोयणगयं तं ॥ ६ ॥ पियमणेण समहरसरिच्छपसरंत कंतिपव्भारा । का एसा कमलच्छी लच्छी विव सुंदरा जुबई ? ॥ ७ ॥ कंचुइणा संलत्तं ना एसा देव! मंतिणो धूया । जा परिणिऊण मुक्का तुम्भेहिं पुचकालम्मि ॥ ८ ॥ एवं भणिए राया तीइ समं तं निसीहिणिं वुत्थो । नउ पहाय त्ति तहच्चिय पाउन्भूओ य से गन्भो ॥ ९ ॥ अह सा पुचममच्चेण आसि भणिया जया तुहं पुत्ति ! | पाउन्भवेज गव्भो जं व नरिंदो समुबइ ॥ १० ॥ तं साहेजसु तइया तहत्ति तीएवि सङ्घवृत्तंतो । सिट्ठो पिउणो, तेणावि भुज्जखंडम्मि लिहिओ सो ॥ ११ ॥ पञ्चयकएणमच्चो पइदियहं सारवेइ अपमत्तो । जाओ तीए पुत्तो सुरिंददत्तो कथं नाम ॥ १२ ॥ तम्मि य दिणे पसूयाणि तत्थ चत्तारि चेडरुवाणि । अग्गियओ पचयओ बहुली तह मागरयनामो ॥ १३ ॥ उवणीओ पढणत्थं लेहायरियस्स सो अमचेण । तेहिं चेडेहिं समं कलाकलावं अहिज्जेइ ॥ १४ ॥ नेवि सिरिमालिपमुद्दा रन्नो पुत्ता न किंचिवि पढंति । थेवपि कलायरिएण ताडिया निययजणणीए ॥ १५ ॥ साहिति रोयमाणा एवं एवं च तेण भणिय म्ह । अह कुवियाहिं भणिजइ उज्झाओ रायमहिलाहिं ॥ १६ ॥ हे कूडपंडिय, सुए अम्हाणं कीम हृणसि निस्संकं । पुत्तरयणाई जह तह न होंति एयंपि नो मुणसि १ ॥ १७ ॥ हा होउ तुज्झ पाढणविहीए अचंतमूढविहलाए। जो न सुए थोपि हु ताडंतो वहसि अणुकंपं ॥ १८ ॥ इय ताहिं फरुसवयणेहिं तजिएणं उवेहिया गुरुणा । अचंतमहामुक्खा ताहे जाया नरिंदसुया ॥ १९ ॥ रायावि वइयरमिणं अयाणमाणो मणम्मि चिंतेइ । अच्चं -