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श्रीउपदे-६ णाई । भरिऊण तस्स खिप्पं समागओ निययदेसम्मि ॥ ८१॥ वेलाऊलम्मि ओयारियाणि सवाणि तेण पोत्ताणि । दिट्ठो ६ श्रीमतीशपदे य भूमिनाहो सप्पणयं पुच्छिओ तेण ॥ ८२॥ किं हो ! दीवंतरसंकमाओ नियपाणसंसयकराओ। भंड्डोल्लमिहाणीयं
सोमाहरतेणुत्तं गोवरो देव ॥ ८३ ॥ किं एसो सच्चो चिय गहिलो अहवावि कज्जमासज्ज । ता होउ जो उ सो वा न कज्जमेयस्स) णप्र०॥२७४॥
सुकेण ॥ ८४ ॥ इय चिंतिय तभंडं कयमस्सुकं इमो पसाओ भे । भणिओ निवेण हसिओ जणेण धी धी गहिलभावो ॥८५॥ जस्स वसाउ पसाओ एयारिसगो अपुवओ लद्धो। अगहिल्लगहिल्लेणं तेणवि अवहीरिङ लोयं ॥८६॥ ते छग-8 | णपिंडगा नियगिहम्मि संचारिया या सवे । तइया अग्गीपज्जालणेण रयणाणि विहियाणि ॥ ८७॥ जो नरवइणो 5 लक्खो दीणाराण गहिओ पुरा आसि । सो दुगुणो भंडारो पवेसिओ तदधिगारेण ॥ ८८॥ पइदिवसं रयणाणं विक्किणणं तप्पभावओ भोगो । भुवणम्मि तस्स जाओ भोयणवत्थाइवत्थूण ॥ ८९॥ जाओ य पूयणिज्जो सो बंधवमित्ततत्थयजणाण । इच्छियपयत्थसंपाडणेण कयहिययसंतोसो॥९० ॥जह सो जणगनिरूवियपट्टगलिहियत्थ निच्चलो संतो। जाओ, भायणमइरेगभावओ चिंतियत्थाण ॥ ९१ ॥ आणाए जिणिंदाणं पट्टगसरिसीए निच्छियाए तहा । कोइ जइ होइ कत्थइ वालिसलोगावहीरणओ॥ ९२॥ सो पत्थुयधम्मस्सा किमजोग्गो भणसु मे तमंचेव । अप्पंभरित्तमणुचियमेवं सधणाण व नराण ॥ ९३ ॥ सा तीए वयणनिउणत्तणेण संतोसमागया भणइ। जोग्गा सि धम्मदाणस्स को परो इय समुल्लवइ ? ॥ ९४ ॥ केवलमिमो मए ते कहियवो ण उण एइ दायवो । देइ पुणो गुरुलोगो तत्तो एसा सिरिमईए ॥९५॥ नीया 6 ॥२७४॥ समणीण पडिस्सयम्मि दिद्वा पवत्तिणी तत्थ । नियसीलसुद्धिसुरसरिपवाहपक्खालियतिलोया ॥ ९६॥ लज्जामज्जायाईगु