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शपदे
श्रीमतीसोमाहरणप्र०
श्रीउपदे- | तम्मि तुमं झुंटणवाणिओव इह झुंटणंपसुस्स ॥ १९॥ चागं खणेण काहिसि दुरंतओ सोय तप्परिच्चाओ। ता इच्छामेत्तं
चिय वएसु तुह सुंदरं भद्दे ! ॥२०॥ सोमाय सिरिमई तो भणिया मह कोउगं बहुं जायं । को सो झुंटणवणिओ झुंट-
| णचाओ य तस्स कहं ? ॥२१॥ काउमणुग्गहमसमं अक्खिजउ णन्नहा इमं काउं । जुजइ, पसन्नवयणा लग्गा तीए - ॥ २७२ ॥ 6 परिकहेउं ॥ २२ ॥ सोमे ! सोमसरूवे निसुणिजउ होउमेगचित्ताए । अंगइया नाम पुरी समत्थि सेट्ठी धणो तत्थ ॥ २३॥ ए
| सामिपुरे तह सेट्ठी संखो नामेण संखधवलगुणो । सो ववहारवसेणं अंगइयाए कयाइ गओ ॥ २४ ॥ विहिओ धणेण सद्धिं | ववहारो गरुयअत्थसंभारो। संवावसरीरहिओ ठिओ बहू वासरे तत्थ ॥ २५ ॥ निच्चं च दंसणाओ परोप्परं माणसाणुस-5 | रणाओ । दाणपडिदाणओ चिय जाया पीई घणा तेसि ॥ २६॥ पुत्तनिही मित्तनिही धम्मनिही धणनिही य सिप्पनिही। पंचसु निहीसु एसु मित्तनिहिं चिय परिगणंता ॥ २७ ॥ ते उत्तम दढत्तणहे मित्तीए दोवि भासंति । नावञ्चविवाहं वजि-2 ऊण जं दढयरा पीई ॥ २८ ॥ संपज्जइ, तो जइया अवच्चजोगो हवेज्ज अम्हाणं । तइया परिणयणविही कज्जो जहजोग्ग-15 मएस ॥ २९ ॥ इय विहियवरणगाणं ठाणेसु निएसु वद्धवासाणं । कालंतरेण जाओ पुत्तो धणसेट्ठिणो तत्थ ॥ ३०॥ सखस्स पुण सुया सरयचंदविंवोवमाणणा जाया । जोबणमणुपत्ताणं ताणं विहिओ य वीवाहो ॥ ३१॥ समयम्मि ससु रगह सखस्स सुया गया कओ य महो। जो तदवत्थाए समुचिओत्ति जाणणणाईओ॥ ३२॥ अविरत्तमाणसाणं विसयपराणं गएसु दिवसेसु । तेसिं कइवइएK गिहम्मि दारिद्दमोइण्णं ॥ ३३ ॥ तिमिरेणव कमलवणं सिसिरेणव तारयाण
क. ग. घ. सम्बावसरे रहिओ।
॥२७२॥